-बायो डीजल में 12 फीसदी जीएसटी दर घटाकर किया 5 फीसदी
-कैंसर दवा पर जीएसटी दर 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया
लखनऊ। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में शुक्रवार को लखनऊ में हुई, जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक में उन लोगों को झटका लगा है, जो पेट्रोल व डीजल को जीएसटी में शामिल होने की भविष्यवाणी कर रहे थे। दरअसल इस मसले पर चर्चा तो हुई, लेकिन इसके पक्ष में निर्णय नहीं लिया जा सका।
सीतारमण ने बैठक के बाद प्रेसवार्ता में कहा कि केरल हाईकोर्ट के आदेश पर पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए आज के एजेंडे में चर्चा के लिए प्रमुख रूप से शामिल किया गया था। अब उसे परिषद के निर्णय से अवगत कराया जाएगा। हालांकि, केंद्र ने इस मसले पर चर्चा कर गेंद राज्यों के पाले में फेंक कर बढ़त बना ली, क्योंकि 6 राज्यों के मेंबरों ने विशेष रूप से, जबकि अन्य राज्य भी इस मुद्दे पर सहमति के साथ इन प्रोडक्ट को जीएसटी के दायरे में लाने का विरोध करते नजर आए। वहीं अन्य मेंबरों की तरफ से अभी उपयुक्त समय व मंच नहीं होने की बात भी कही गई जिसके चलते इस मामले में निर्णय टल गया। वहीं इस परिषद में बैठक के दौरान टैक्स दर को घटाने व बढ़ाने को लेकर कई फैसले भी लिए गए।
45वीं जीएसटी परिषद की बैठक विशेष बातें
गौरतलब है कि 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू हुआ था, कोविड-19 के कारण पिछले वर्ष बैठक वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई थी, 20 महीने बाद लखनऊ में काउंसिल के मेंबरों के साथ बैठक हुई । इस बैठक में सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश के उपमुख्यमंत्री, मंत्री या उनके द्वारा नामित सदस्य शामिल हुए वहीं पेट्रोल-डीजल को जीएसटी से बाहर रखने के मामले में जिन राज्यों के विरोध का स्वर प्रमुख रूप से मुखर था उनमें उत्तर-प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड,कर्नाटक ,केरल, छत्तीसगढ़ प्रमुख थे। बताते चलें कि इस बैठक में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने भी हिस्सा लिया। कोविड-19 महामारी के बाद आमने-सामने बैठकर हुई यह परिषद की पहली बैठक थी। इस तरह की आखिरी बैठक 20 महीने पहले 18 दिसंबर 2019 को हुई थी। उसके बाद से परिषद की बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए ही हो रही थी।
2022 के बाद भी राज्यों को केंद्र देता रहेगा मदद
आज हुई बैठक में राज्यों को 2022 के बाद भी हर्जाना देने के तौर-तरीकों पर चर्चा हुई। आपको बता दें कि जब 2017 में जीएसटी लागू किया गया था, तब यह फैसला हुआ था कि अगले 5 साल तक जीएसटी लागू करने की वजह से जिन राज्यों के राजस्व में कमी आएगी, उसकी भरपाई केंद्र करेगा, लेकिन 2020 में काउंसिल ने कोरोना के हालातों को देखते हुए इसे 2022 से आगे जारी रखने का फैसला किया था।
कुछ अहम फैसले, 1 जनवरी, 2022 से होने वाले परिवर्तन
जीएसटी परिषद ने ई-कॉमर्स ऑपरेटरों (ईसीओ) के लिए फिटमेंट समिति के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत फूड उपलब्ध कराने वाली स्विगी व ज़ोमैटो को उनके माध्यम से आपूर्ति की जाने वाली रेस्तरां सेवा पर जीएसटी का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी बनाने पर सहमति हो गई है
-जीएसटी परिषद ने लोहा, मैंगनीज, तांबा, निकल, कोबाल्ट, एल्यूमीनियम, सीसा, जस्ता, टिन, क्रोमियम-अयस्क और सांद्र पर जीएसटी दर को 5 फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी कर दिया गया।
-फिटमेंट कमेटी ने नारियल के तेल पर स्पष्टीकरण की सिफारिश की थी, जिसमें 1 लीटर से कम के पैक पर 18 प्रतिशत जीएसटी का प्रस्ताव था और उसमें ये कहा गया था कि एक लीटर से कम के कंटेनर पैक को बालों के तेल के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। जबकि 1 लीटर या उससे अधिक के कंटेनर पैक और 5 प्रतिशत की जीएसटी दर पर बेचा जा सकता है। जिसका केरल ने विरोध किया,, जिसके चलते प्रस्ताव को फिलहाल होल्ड पर रख दिया गया है।
जीएसटी राहत से जुड़े कुछ खास खास बातें
-बच्चों के इलाज में प्रयुक्त होने वाली दवाओं को छूट दी गई है, अब इनमें जीएसटी नहीं लगेगा, जिसमें जोलगेन्समा व विल्टेप्सो का प्रमुख हैं।
-कोरोनाकाल में जिस रेमडेसिविर की किल्लत थी, उस पर व हेपरिन पर 5% जीएसीटी लगेगा।
कोविड-19 पेंडेमिक को देखते हुए 31 दिसम्बर तक दवाओं में छूट बढ़ा दी गई है, लेकिन मेडिकल उपकरणों को छूट से बाहर रखा गया।
-मालगाड़ी परमिट को जीएसटी से मुक्त कर दिया गया।